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अब नही पलट सकेंगे दलबदलू नेता, अनुच्छेद 105 और 106 पर सुप्रीम कोर्ट ने 26 साल पुराना अपना ही फैसला पलटा

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#breakingnews सुप्रीम कोर्ट ने कल 26 साल पुराना अपना ही फैसला पलट दिया है। इसकी पूरे देश में चर्चा हो रही है राजनेताओं की भी नींद उड़ी हुई है।  अब देश में रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार नहीं चलने वाला है। क्युकी भ्रष्टाचारियों के सरदार ही जब गलत काम नही कर पाएंगे तो उनके लोग या छोटे अधिकारी कैसे भ्रष्टाचार कर पाएंगे। 2024 के लोकसभा चुनाव नजदीक है। ऐसे में ये फैसला बहुत अहम माना जा रहा है। विपक्षी पार्टियों को भी राहत की सांस लेने का अवसर मिला है। क्युकी इस फैसले से उन्हें खुशी होगी के अब कम से कम हमारे नेता दूसरी पार्टियों को पैसे लेकर वोट नही देंगे। झारखंड मुक्ति मोर्चा रिश्वत के केस में 5 जजों की पीठ के 1998 में सुनाए गए फैसले को अब सात जजों की पीठ ने आपसी सहमति से पलट दिया है। 1991 में हुए चुनाओ में कांग्रेस पार्टी की सीट बहुमत से कम रह गई थी ऐसे में राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा के रविंदर सिंह ने की थी रिश्वत की शिकायत। तब ये मामला बहुत हाईलाइट हुआ था। 1996 में सीबीआई में यह सिकायत कराई गई थी। के बहुमत साबित करने के लिए नरसिम्हा राव भजनलाल जैसे कुछ बड़े नेताओं ने कई पार्टियों के नेताओं को ...

Caa नागरिकता संशोधन विधेयक लागू मुसलमानों को क्या परेशानी?

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आखिर मोदी सरकार ने लागू कर ही दिया नागरिकता संशोधन अधिनयम। 11 मार्च 2024 को मोदी सरकार ने वो कानून लागू कर दिया जिसकी प्रतीक्षा देश भर में रह रहे लाखो शरणार्थियों को लंबे समय से थी । सबसे पहले इस कानून को 11 मार्च 2019 में पेश किया गया था देश के ग्रह मंत्री अमित शाह द्वारा। क्या है इस कानून में? यह कानून कहता है 2014 से पहले पाकिस्तान बांग्लादेश या अफगानिस्तान से आए हुए शरणार्थियों को भारत की नागरिकता दी जाएगी और इसमें जो समय अवधि थी 7 साल की उसे भी कम किया गया है। अब जो पिछले 5 साल से भारत में रह रहे हैं उन्हें देश की नागरिकता प्राप्त करने योग्य माना जायेगा। मुसलमानों को क्या दिक्कत इस कानून से?  भारतीय मुस्लिम समाज इस कानून से बहुत नाराज है और इसकी वजह ये है कि सरकार के हिसाब से पाकिस्तान बांग्लादेश अफगान में रहने वाले अल्पसंख्यक ही भारत में आकर यहां नागरिक बन सकते है लेकिन मुस्लिम इन तीनों ही देशों में बहुसंख्यक है ऐसे में उन्हें भारत की नागरिकता नही मिल रही जबकि भारत के मुसलमानों का कहना है के पाकिस्तान आदि से आने वाले मुसलमानों को भी भारत का नागरिक बनाया जाना चाहिए। हालाकि सभी...

बुरी फसी ममता शेख के चक्कर में

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  आप सभी को पता होगा पश्चिम बंगाल में इन दिनों शाहजहां शेख का मामला पूरा चर्चा में है। सीबीआई ईडी शेख को अपनी कस्टडी में लेने के लिए कोर्ट से गुहार लगा रहे है। लेकिन ममता है के मानती नही। ये ममता को भी ले डूबेगा अब अब कोर्ट ने खुद ईडी को ममता सरकार के खिलाफ कोर्ट के आदेश की अवमानना करने पर याचिका दायर करने का आदेश दे दिया है।  आपको पता होगा शाहजहां शेख शुरुआत में सुर्खियों में तब आया था जब उसने टीएमसी यानी ममता की ही पार्टी की एक महिला नेता का शारीरिक शोषण किया और उसके बाद और भी बहुत सी महिलाएं भी सामने आई जिन्होंने आप बीती बताई।  कुछ औरतों के परिवार वालों को तो ये तक कहा जाता था की जिंदा तो मिल गई न इसी बात का शुक्र मानो और जुबान मत खोलना।  वहा के गरीब स्थानीय लोग इसी को अपनी किस्मत मान कर जी रहे थे। लेकिन उसके बाद जब मामला राष्ट्रीय मीडिया में उठा तो देश की सरकार हरकत में आई उसके बाद जांच चली तो राशन घोटाले में भी शाहजहां शेख आरोपी पाया गया। उसके बाद जब ईडी छापेमारी करने गई तो उसकी टीम पर भी हमला किया गया। कोर्ट अब इस मामले में बहुत सख्त हो गया है लेकिन ममता बनर्जी...

Teele wali masjid lucknow court reject muslim apeal

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  लखनऊ की एक जिला अदालत ने बुधवार को सिविल जज के आदेश के खिलाफ मुस्लिम पक्ष द्वारा दायर एक पुनरीक्षण याचिका को खारिज कर दिया, जिसके तहत उन्होंने 6 सितंबर, 2023 को टीले वाली मस्जिद मामले में सिविल मुकदमे की सुनवाई करने का फैसला किया था, इस दलील को खारिज करते हुए कि मुकदमा नहीं किया जा सकता है। गैर-रखरखाव के आधार पर सुनवाई की जाएगी। भगवान शेषनागेश टीलेश्वर महादेव विराजमान द्वारा मित्र डॉ. वीके श्रीवास्तव के माध्यम से 2013 में सिविल मुकदमा दायर किया गया था, जिसमें कहा गया था कि मुगल सम्राट औरंगजेब के शासनकाल के दौरान, टीले वाली मस्जिद के लिए रास्ता बनाने के लिए एक हिंदू धार्मिक संरचना, लक्ष्मण टीला को ध्वस्त कर दिया गया था, और इसलिए, स्थल पर मूल हिंदू धार्मिक संरचना को बहाल किया जाना चाहिए। बुधवार को अपने आदेश में, अतिरिक्त जिला न्यायाधीश नरेंद्र कुमार III ने कहा कि सिविल मुकदमे में याचिका कानून और तथ्यों के मिश्रित प्रश्न पर आधारित थी और इसलिए केवल मुस्लिम पक्ष की आपत्ति पर सबूत दर्ज किए बिना खारिज नहीं किया जा सकता था कि मुकदमा समय-समय पर था। पूजा स्थल अधिनियम, 1991 के प्रावधानों के...