नारी शक्ति बनी राज्य सभा सांसद जानिए क्यों है सुधा मूर्ति नारी शक्ति का प्रमाण
ब्रिटेन के प्रधान मंत्री ऋषि सुनक की सास
इंफोसिस कंपनी की प्रेसिडेंट सुधा मूर्ति को आज 8 मार्च 2024 में राज्य सभा सांसद मनोनित किया गया है।
देश की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी के द्वारा।
इसकी जानकारी देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विटर
पर दी।
उन्होंने लिखा के सुधा मूर्ति नारी शक्ति का एक अतुलनीय उदाहरण है उनके होने से महिलाओं को एक प्रेरणा मिलती हैं।
क्यों सुधा मूर्ति को ही राज्य सभा भेजा गया?
सुधा मूर्ति और उनके पति नारायण मूर्ति का जीवन बड़ा ही सरंघर्षमय बिता है।
जब नारायण मूर्ति ने अपने दोस्तो के साथ एक कंपनी खड़ी करने की सोची तो उसका नाम तो तय हो गया इंफोसिस।
लेकिन उसके लिए पैसे की बहुत तंगी हुई।
ऐसी हालत में नारायण मूर्ति ने सुधा मूर्ति से अपने हिस्से के 10,000 रुपए उधार लिए थे।
उसके बाद इंफोसिस ने वो कमाल किया के आज ।
टाटा ग्रुप के बाद यह कंपनी 2 नंबर पर आती हैं।
इसके टोटल मार्केट कैप 6,69,000 करोड़ से भी ज्यादा की
है।
अगर सुधा मूर्ति उस वक्त 10000 रुपए ना देती तो न तो
इंफोसिस जैसी कंपनी खड़ी होती और न ही ऋषि सुनक जैसा दामाद इन्हे मिलता।
क्या कहा सुधा मूर्ति ने सांसद बनने के बाद
सुधा मूर्ति ने सांसद बनने के बाद कहा कि पीएम मोदी और देश की राष्ट्रपति ने मुझे जो जिम्मेदारी दी है मै उसके लायक नही हु ।
ये बहुत बड़ा कार्य सरकार ने मुझे दिया है।
ऋषि सुनक ब्रिटेन का पक्ष रखते है , लेकिन मुझे भारत का पक्ष रखना है।
क्युकी मैं इस देश की सबसे बड़ी सदन की सदस्य चुनी गई हु।
सुधा मूर्ति बिजनेस के साथ सामाजिक कार्यकर्ता भी है। और लेखिका भी है इन्होंने 25 से ज्यादा पुस्तके लिखी है।
जो अलग अलग भाषाओं में प्रकाशित की गई है।
इनमे से कुछ तो पूरी दुनिया में सुर्खिया बटोर चुकी है।
इन्हे कन्नड़ हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं में लिखने का अनुभव है।
सुधा मूर्ति की उपलब्धि
सुधा मूर्ति इंफोसिस की प्रेसिडेंट है और साथ ही राज्य सभा सांसद भी।
इसके साथ ही इन्हे भारत सरकार के सर्वोच्च सम्मान पद्म भूषण और पद्म श्री से भी नवाजा गया है।
8 मार्च 2024 के दिन महिला दिवस पर इन्हे राज्य सभा में भेजकर महिलाओं को प्रोत्शाहित करने का प्रयास सरकार द्वारा किया गया है।
सुधा मूर्ति का जीवन संघर्ष से भरा है इतना पैसा होने के बाद
भी ये बहुत सादगी भरा जीवन जीती है।
इनका कहना है के पैसे को देखकर मनुष्य के अंदर अहंकार नहीं आना चाहिए।
इंसान को दुनिया के साथ चलना चाहिए उससे तेज नही।
क्युकी, ज्यादा तेजी से कामयाबी हासिल नहीं की जा सकती उसके लिए एक एक कदम सोच समझ कर रखा जाता है।
तेजी से चलने वाला इंसान अक्षर ठोकर खा कर गिर जाता है।
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