अनंत अंबानी को कौनसी गंभीर बीमारी हो गई थी बचपन में?
आपके मन में ये सवाल होगा कि अनंत अंबानी के पिता के पास इतना पैसा है, दुनिया की सबसे अच्छी मेडिकल सुविधा बेटे के लिए वो कितनी आसानी से उपलब्ध करा सकते हैं फिर भी अनंत का मोटापा कम नहीं कर सकते। वो कहते हैं ना कि कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता। अपने जमाने के मशहूर शायर निदा फाजली के गीत के ये बोल अनंत अंबानी की जिंदगी पर बिल्कुल फिट बैठते हैं। एशिया के सबसे अमीर घराने में पैदा होने के बाद भी अनंत अंबानी बचपन से ही गंभीर बीमारी का शिकार हो गए। लेकिन उस बिमारी से उन्होंने हार नहीं मानी बल्कि कड़ी मेहनत के दम पर उस पर जीत हासिल की।
ज़िन्दगी का मेला बड़ा अजीब है। इस पोस्ट में इंसानियत, तकदीर और तदबीर के रहस्यों का रहस्य बताया गया है।
जीवन खप जाता है लोगो का। जीवन का एक प्रश्न हर इंसान को कुरेदता है कि संसार में उपलब्धि कर्म और भाग्य दोनों में किसकी भूमिका बड़ी है?
ऐसे में उलचे इंसानो के लिए अनंत अंबानी का अब तक का सफरनामा मृगमरीच के शीतल सरोवर के समान है। 10 मार्च 1995 को हिंदुस्तान की सबसे बड़ी फैमिली में जन्म लेने वाले अनंत की जिंदगी, कर्म और किस्मत के मेल की बेमिसाल दास्तां है।
रईस घराने में जन्म के बाद भी अनंत को बचपन से ही मेजर हेल्थ इश्यू हुआ था। अनंत को डॉक्टरों द्वारा इलेक्ट्रानिक एस्ट्रॉयड का हेवी डोज दिया गया।
स्टैरॉइड की वजह से उनका मेटाबोलिज्म आर्किटेक्चर स्लो हो गया और सात साल की उम्र तक वे इस ओबेसिटी के शिकार हो गए।
बचपन में ही इनका वजन इतना बढ़ गया था कि खेलना कूदना तो दूर चलना फिरना भी बंद हो गया। तकदीर का ताशा देखिए कि देश के सबसे रसूखदार घर का चिराग होने के बावजूद भी मोटापे की वजह से अनंत का मजाक उड़ाया गया था।
लोग उलटी सीधी बातें करते हैं लेकिन अंबानी परिवार के इस लड़के ने ऐसा नायब तरीका ढूंढा और बीमारी से लड़ा ।
आरोप लगाने वाले खुद ही मजाक बन गए आज।
आस्था और सेवा भाव बचपन से ही अनंत के पथ के दोस्त बन गए।
इसके साथ ही उन्होंने अपने अंदर गजब की शक्ति, दृढ़ इच्छा शक्ति विकसित करने का संकल्प लिया जब 19 साल की उम्र में उनका वजन 208 किलो तक पहुंच गया और तभी उन्होंने निर्णय लिया कि इस बीमारी से वो विरासत के ऐश्वर्य से नहीं बल्कि अपनी दृढ़ इच्छा, शक्ति और आत्मसंयम से दूर जायेंगे.
सबसे पहले उन्होंने अपनी रचना को दार्शनिक रूप से प्रस्तुत किया। खान पान पर नियंत्रण कर लिया गया और उसके बाद में मोशन शुरू हो गया। 208 किलो के इस युवा ने तब दैनिक 21 किमी की जॉगिंग शुरू की, ट्रायल कार्डियो एक्सर्साइज की योगा की और 18 महीने के भीतर अपने वजन को 108 किलो से कम कर लिया।
अनंत की इस विल पावर को देखकर बॉलीवुड के सुल्तान कहे जाने वाले सलमान खान भी भाव विभोर हो गए थे।
तब सलमान ने अनंत के साथ सेल्फी लेकर पब्लिक ब्लॉगिंग साइट पर लिखा था, अनंत अंबानी को देखकर बेहद खुश हूं। उनके प्रति बहुत सम्मान का भाव आ रहा है। 18 महीने में 108 किलो वजन कम करने के लिए बेहद मजबूत इच्छाशक्ति की जरूरत है। पता है?
कमाल ये है कि आज भी अनंत को इसका गुरुर नहीं है, बल्कि इसके लिए भी वो ईश्वर के शुक्रगुजार हैं।
अनंत अपने आनंद को दुनिया के आनंद से जोड़कर अपने मन को प्रभावित करता है।
वो कहते है,
मैं भगवान का शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने मेरे साथ जो भी किया, अच्छा बनाया और मैं लड़ता हूं और भगवान के साथ रहता हूं। तुम्हें बहुत सारे लोगों का आशीर्वाद मिला, मेरे परिवार वाले, मेरे परिवार वालों ने, मेरी माताजी और प्रशंसकों ने कभी मुझे ये भी मुझे अकेला होने का एहसास नहीं होने दिया।
अनंत की ये विनम्रता करोड़ों लोगों की प्रेरणा बन सकती है।
सोचिए अनंत चाहते तो मजबूत मेहनत के स्थान पर ऑपरेशन के जरिए अपना वेइट लॉस कर सकते थे। लेकिन उन्होंने फूलों की राह छोड़ कर संघर्ष के अग्निपथ को जीवन में स्थान दिया और इसी अग्निपथ ने आज अनंत को मानवीय संवेदना का विषय बना दिया।
ईश्वर से मिली समृद्ध विरासत को उन्होंने यहां मानव सेवा तक हर जीव की सेवा का जरिया बनाया है।
पिता मुकेश अंबानी से मिली प्रेरणा आज अनंत के जीवन का मूल मंत्र बन गई है।
और यही कारण है के उन्होंने अपनी मेहनत के दम पर jio कंपनी को उचाइयो तक पहुंचा दिया।
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